जानिए : जग्गन्नाथ पूरी मंदिर के अन सुलझे रहस्य

मंदिर के शिखर पर लगा हुआ ध्वज हमेशा बहने वाली हवा की विपरीत दिशा में लहराता हैं, इसके अलावा इस मंदिर के शिखर पर लगा हुआ ध्वज हर दिन बदला जाता हैं बल्कि किसी और मंदिर का ध्वज प्रतिदिन नहीं बदला जाता हैं। हर दिन जगन्नाथ मंदिर का पुजारी मंदिर के शिखर पर चढ़ कर मंदिर के ध्वज को बदलता हैं, मान्यता हैं कि अगर किसी दिन मंदिर के शिखर का ध्वज नहीं बदला गया तो मंदिर 18 साल के लिए बंद हो जाएगा.
इस मंदिर में कभी भी भक्तों के लिए प्रसाद की कमी नहीं होती भले ही श्रद्धालुओं की कितनी भी संख्या क्यो ना हो, मंदिर के भंडार गृह में साल भर के प्रसाद के लिए सामग्री हमेशा उपलब्ध रहती हैं। मान्यता के अनुसार भगवान जगन्नाथ की कृपा से यहां कभी भी प्रसाद की कमी नहीं होती हैं, यहां प्रसाद जिस रसोई में तैयार केया जाता हैं वो भी अपने आप में एक रहस्य हैं.
भगवान कृष्ण का ये मंदिर वैसे तो समुद्र के नजदीक बसा हुआ हैं लेकिन इसमें रहस्य की बात ये हैं कि मंदिर में अंदर जाने के बाद आपको समुद्र की लहरों की आवाज बिल्कुल भी सुनाई नहीं देती हैं जबकि जैसे ही आप मंदिर से बाहर निकलते हैं आपको समुद्र की लहरें बड़ी आसानी से सुनाई देने लगती हैं.
इस मंदिर की छाया भी अपने आप मे रहस्य हैं, इतना ऊंचा मंदिर होने के बावजूद इस मंदिर की छाया नीचे नहीं पहुंचती.
मंदिर में मूर्तियों की आंखे फैली हुई क्यों हे ?
एक बार माता यशोदा, माता देवकी के साथ द्वारका पधारी वहां कृष्ण की रानियों ने माताओं से कृष्ण के बचपन की लीलाओं का वर्णन करने का अनुरोध किया। उनके साथ बहन सुभद्रा भी थीं माता यशोदा ने कहा कि वह उन्हें कृष्ण तथा उनकी गोपियों की लीलाएं तो सुना देंगी पर ये कथा कृष्ण और बलराम के कानों तक नहीं पहुंचनी चाहिए। सुभद्रा द्वार पर पहरा देने के लिए तैयार हो गई। माता ने लीलाओं का गान शुरू किया भगवान की लीला का रसपान करने में सब अपनी सुध-बुध खो बैठे.
सुभद्रा को भी पता नहीं चला कि कब भगवान श्री कृष्ण और बलराम वहां आ गए और उनके साथ ही कथा का आनन्द लेने लगे. बचपन की मधुर लीलाओं को सुनते सुनते उनकी आंखें फैलने लगीं। सुभद्रा की भी यही दशा हुई वह आनंदित हो कर पिघलने लगीं. उसी समय श्री नारदजी वहां पधारे। किसी के आने का अहसास होते ही कथा रुक गई. नारदजी भगवान संग बलराम और सुभद्रा के ऐसे रूप को देखकर मोहित हो गए। वह बोले, भगवन्! आपका यह रूप बहुत सुंदर है. आप इस रूप में सामान्य जन को भी दर्शन दे. तब भगवान कृष्ण ने कहा में वह इस रूप में अवतरित होंगे। जगन्नाथ पुरी में भगवान का यही विग्रह मौजूद है जिसमें वह अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ हैं.