धनतेरस पर आखिर यम के लिए क्यों जलाया जाता है दीया, जानें इसका धार्मिक महत्व

धनतेरस पर आखिर यम के लिए क्यों जलाया जाता है दीया, जानें इसका धार्मिक महत्व

दीपावली से दो दिन पहले धनतेरस के दिन मृत्यु के देवता ‘यम’ के नाम पर दीपदान की परंपरा है. धनतेरस के दिन दरवाजे पर सारी रात जलने वाले तेल के चौमुखा दिया का क्या महत्व है, जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.

कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी यानि कि धनतेरस के दिन यम के नाम से विशेष रूप से दीपदान की परंपरा है. आस्था और विश्वास से जुड़े इस महापर्व पर यम की साधना धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस दिन यम के लिए आटे का चौमुखा दीपक बनाकर घर के मुख्य द्वार पर रखा जाता है. घर की महिलाएं रात के समय दीपक में तेल डालकर चार बत्तियां जलाती हैं. इसके बाद विधि-विधान से पूजा करने के बाद दीपक जलाकर दक्षिण दिशा की ओर मुख कर ‘मृत्युनां दण्डपाशाभ्यां कालेन श्यामया सह। त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम्’ मंत्र का जप करते हुए यम का पूजन करती है.

धनतेरस पर ​यम की पूजा से जुड़ी पौराणिक कथा
एक बार यम ने अपने दूतों से पूछा कि क्या तुम्हे प्राणियों के प्राण हरते समय तुम्हें कभी किसी पर दया भी आती है? यमदूतों ने संकोच में कहा नहीं महाराज. तब यमराज ने उन्हें अभयदान देते हुए कहा डरो नहीं सच-सच बताओ. तब यमदूतों ने बताया कि एक बार उनका दिल किसी के प्राण को हरते समय वाकई डर गया था. दूतों ने यम को बताया कि एक बार हंस नाम का राजा शिकार के लिए गया और भटककर दूसरे राज्य की सीमा में चला गया. उस राज्य के शासक हेमा ने राजा हंस का बड़ा सत्कार किया. उसी दिन राजा हेमा की पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया था. ज्योतिषियों ने नक्षत्र गणना करके बताया कि यह बालक विवाह के चार दिन बाद मर जाएगा. राजा हंस के आदेश से उस बालक को यमुना के तट पर एक गुफा में ब्रह्मचारी के रूप में रखा गया और आदेश दिया गया कि उस तक किसी स्त्री की छाया तक न पहुंचने पाये.

फिर ऐसे हुई राजकुमार की मृत्यु
किन्तु विधि का विधान तो अडिग होता है. एक दिन राजा हंस की युवा बेटी यमुना के तट पर निकल गई और उसने उस ब्रह्मचारी बालक से गंधर्व विवाह कर लिया. विवाह के चौथे दिन ही वह राजकुमार मृत्यु को प्राप्त हुआ. दूतों ने कहा महाराज हमने ऐसी सुंदर जोड़ी कभी नहीं देखी थी और उस महिला का विलाप देखकर हमारे आंसू भी निकल आये थे. इसके बाद यम ने पूछा कि भी द्रवित हो गये थे.

यम ने बताया अकाल मृत्यु से बचने का उपाय
यम के दूतों ने उनसे पूछा कि महाराज क्या अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय नहीं है? तब यमराज ने कहा, ‘धनतेरस के पूजन एवं दीपदान को विधिपूर्वक पूर्ण करने से अकाल मृत्यु से छुटकारा मिलता है. जिस घर में यह पूजन होता है, वहां अकाल मृत्यु का वास भी नहीं फटकता. इसी घटना से धनतेरस के दिन धन्वन्तरि पूजन सहित दीपदान की प्रथा का प्रचलन शुरू हुआ.

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